नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक को थिएटर मॉडल में शामिल किया जा रहा है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को बताया कि इस मॉडल में सर्विस चीफ की भूमिका पर खास ध्यान दिया जा रहा है। थिएटर कमांड बनाने का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
वहीं एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि भारतीय सेना को एक और ज्वाइंट स्ट्रक्चर की जरूरत हो सकती है लेकिन किसी दूसरे देश का मॉडल सीधे लागू नहीं किया जा सकता। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ज्वाइंटनेस और इंटीग्रेशन साफ दिखा था और तालमेल बिठाकर काम करने के लिए एक औपचारिक ढांचे की जरूरत है।
पहले और थिएटर मॉडल में क्या होगा अंतर?
मंगलवार को भारत शक्ति इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव कार्यक्रम में जनरल अनिल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ और सबक मिले हैं। इन्हें मौजूदा थिएटर मॉडल में शामिल किया जाएगा। पहले के मॉडल में फोर्स जनरेशन (सेना तैयार करना) और फोर्स एप्लीकेशन (सेना का इस्तेमाल करना) अलग-अलग थे।
उन्होंने आगे बताया कि थिएटर कमांडर फोर्स एप्लीकेशन के लिए जिम्मेदार थे और सर्विस चीफ सिर्फ फोर्स जनरेशन यानी सेना को 'तैयार करना, प्रशिक्षित करना और बनाए रखना' के लिए जिम्मेदार थे। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह बात सामने आई कि सर्विस चीफ की भूमिका सिर्फ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) के सदस्य के तौर पर ही नहीं, बल्कि सीधे तौर पर भी बहुत अहम थी।
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, इसलिए हम इस भूमिका को भारत के संदर्भ में नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें इस पर फिर से काम करना होगा।
90 प्रतिशत काम हुआ पूरा
उन्होंने आगे कहा कि उरी, बालाकोट, सिंदूर, गलवान और डोकलाम जैसे ऑपरेशनों से हमें काफी अनुभव मिला है। इस अनुभव को मिलाकर एक ऐसा संगठनात्मक ढांचा बनाना होगा जो हर मौसम के लिए तैयार हो। युद्ध के लिए और युद्ध से कम स्तर के ऑपरेशनों के लिए ढांचा फाइनल करना है। 90 प्रतिशत काम हो चुका है।
चौहान ने थिएटर मॉडल के विकास के बारे में बताया कि यह ऑपरेशन सिंदूर से दो-तीन साल पहले शुरू हुआ था। तीनों चीफ और उन्होंने खुद लगभग 26 दिनों तक दो-तीन सालों में रणनीतिक चर्चाएं कीं। जब तत्कालीन तीनों चीफ रिटायर हुए तो उन्होंने इन चर्चाओं को एक बुक में सरकार को सौंपा था। उस समय ऑपरेशन तिरंगा (संभवतः थिएटर मॉडल का नाम) में कुछ मुद्दे बाकी थे और चर्चाएं जारी रहीं। ऑपरेशन सिंदूर से पहले की स्थिति यही थी।
वायुसेना प्रमुख ने किया समर्थन
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने सेना के लिए प्रस्तावित ‘थिएटर’ संबंधी योजना पर कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए एक नया ढांचा बनाने का कोई भी फैसला राष्ट्रीय हित में होगा और इस पर विचार-विमर्श चल रहा है।
एक संवाद सत्र में एयर चीफ मार्शल ने ड्रोन के इस्तेमाल से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और कुछ नागरिक संस्थाओं को मिलाकर एक संयुक्त ढांचा बनाने की भी वकालत की।
वहीं एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि भारतीय सेना को एक और ज्वाइंट स्ट्रक्चर की जरूरत हो सकती है लेकिन किसी दूसरे देश का मॉडल सीधे लागू नहीं किया जा सकता। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ज्वाइंटनेस और इंटीग्रेशन साफ दिखा था और तालमेल बिठाकर काम करने के लिए एक औपचारिक ढांचे की जरूरत है।
पहले और थिएटर मॉडल में क्या होगा अंतर?
मंगलवार को भारत शक्ति इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव कार्यक्रम में जनरल अनिल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ और सबक मिले हैं। इन्हें मौजूदा थिएटर मॉडल में शामिल किया जाएगा। पहले के मॉडल में फोर्स जनरेशन (सेना तैयार करना) और फोर्स एप्लीकेशन (सेना का इस्तेमाल करना) अलग-अलग थे।
उन्होंने आगे बताया कि थिएटर कमांडर फोर्स एप्लीकेशन के लिए जिम्मेदार थे और सर्विस चीफ सिर्फ फोर्स जनरेशन यानी सेना को 'तैयार करना, प्रशिक्षित करना और बनाए रखना' के लिए जिम्मेदार थे। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह बात सामने आई कि सर्विस चीफ की भूमिका सिर्फ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) के सदस्य के तौर पर ही नहीं, बल्कि सीधे तौर पर भी बहुत अहम थी।
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, इसलिए हम इस भूमिका को भारत के संदर्भ में नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें इस पर फिर से काम करना होगा।
90 प्रतिशत काम हुआ पूरा
उन्होंने आगे कहा कि उरी, बालाकोट, सिंदूर, गलवान और डोकलाम जैसे ऑपरेशनों से हमें काफी अनुभव मिला है। इस अनुभव को मिलाकर एक ऐसा संगठनात्मक ढांचा बनाना होगा जो हर मौसम के लिए तैयार हो। युद्ध के लिए और युद्ध से कम स्तर के ऑपरेशनों के लिए ढांचा फाइनल करना है। 90 प्रतिशत काम हो चुका है।
चौहान ने थिएटर मॉडल के विकास के बारे में बताया कि यह ऑपरेशन सिंदूर से दो-तीन साल पहले शुरू हुआ था। तीनों चीफ और उन्होंने खुद लगभग 26 दिनों तक दो-तीन सालों में रणनीतिक चर्चाएं कीं। जब तत्कालीन तीनों चीफ रिटायर हुए तो उन्होंने इन चर्चाओं को एक बुक में सरकार को सौंपा था। उस समय ऑपरेशन तिरंगा (संभवतः थिएटर मॉडल का नाम) में कुछ मुद्दे बाकी थे और चर्चाएं जारी रहीं। ऑपरेशन सिंदूर से पहले की स्थिति यही थी।
वायुसेना प्रमुख ने किया समर्थन
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने सेना के लिए प्रस्तावित ‘थिएटर’ संबंधी योजना पर कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए एक नया ढांचा बनाने का कोई भी फैसला राष्ट्रीय हित में होगा और इस पर विचार-विमर्श चल रहा है।
एक संवाद सत्र में एयर चीफ मार्शल ने ड्रोन के इस्तेमाल से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और कुछ नागरिक संस्थाओं को मिलाकर एक संयुक्त ढांचा बनाने की भी वकालत की।
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