रिपोर्ट: करण सिंह / बीजापुर/दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर से शांति की सबसे बड़ी खबर आई है।भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की माड़ डिवीजनल कमेटी ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि वह सशस्त्र संघर्ष समाप्त कर शांति प्रक्रिया में शामिल होगी।इस संबंध में संगठन की सचिव संगीता उर्फ सनीता ने हस्ताक्षरित पत्र जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि “माड़ डिवीजन कॉमरेड सोनू के उस निर्णय का पूर्ण समर्थन करता है, जिसमें हथियार डालने और मुख्यधारा में लौटने की बात कही गई थी।”पत्र में यह भी कहा गया है कि 15 अक्टूबर 2025 तक संगठन के सभी सदस्य आत्मसमर्पण करेंगे और सरकार द्वारा संचालित पुनर्वास नीति का हिस्सा बनेंगे।माड़ क्षेत्र का पृष्ठभूमि महत्वमाड़ इलाका - जो बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा की सीमाओं में फैला है - पिछले दो दशकों से नक्सली गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।यहां से संगठन की कई बड़ी रणनीतिक कार्रवाइयाँ संचालित होती रही हैं।विशेषज्ञों के अनुसार, माड़ डिवीजन को “नक्सल आंदोलन की रीढ़” माना जाता था। ऐसे में इसका हथियार डालना, पूरे बस्तर में शांति की प्रक्रिया को नई ऊर्जा दे सकता है।सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रियाराज्य सरकार ने इस निर्णय का स्वागत किया है।मुख्यमंत्री ने कहा —बस्तर की धरती अब शांति और विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है। जो नक्सली हथियार छोड़ना चाहते हैं, उनका स्वागत है। सरकार उन्हें सुरक्षा, पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन प्रदान करेगी।सुरक्षा एजेंसियों का भी मानना है कि यह कदम नक्सल गतिविधियों को कमजोर करेगा और आदिवासी इलाकों में भरोसे का माहौल बनेगा।विशेषज्ञों की रायराजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों के मुताबिक —माओवादी विचारधारा के भीतर अब ‘संघर्ष की थकान’ और ‘जनसमर्थन की कमी’ साफ दिख रही है।बदलते समय में जब सरकार गांवों तक सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और संचार के साधन पहुँचा रही है, तब पुरानी हिंसक राह पर टिके रहना कठिन हो गया है।नई सुबह की ओरमाड़ डिवीजन की इस ऐतिहासिक घोषणा को बस्तर के लिए “नए युग की शुरुआत” कहा जा रहा है।यदि यह आत्मसमर्पण और पुनर्वास प्रक्रिया सफल होती है, तो दशकों से हिंसा और भय की छाया में जी रही बस्तर की जनता को आखिरकार शांति और विकास की नई दिशा मिलेगी।
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