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राजस्थान में 70% से ज्यादा वोटरों को बड़ी राहत, अब नहीं लगाना होगा कोई भी कागज

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News India Live, Digital Desk : राजस्थान में चुनाव और उससे जुड़ी प्रक्रियाओं को आसान और कागज़-मुक्त (paperless) बनाने की दिशा में चुनाव आयोग ने एक बहुत बड़ा और क्रांतिकारी कदम उठाया है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी, प्रवीण गुप्ता ने घोषणा की है कि अब प्रदेश के 70 प्रतिशत से ज़्यादा मतदाताओं को वोटर लिस्ट से जुड़े कई कामों के लिए कोई भी दस्तावेज (document) जमा करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. यह फैसला लाखों लोगों के लिए एक बड़ी राहत है और बीएलओ (BLO) व चुनाव दफ्तरों के चक्कर काटने के झंझट को खत्म कर देगा.कैसे काम करेगी यह नई व्यवस्था?यह पूरी व्यवस्था आधार कार्ड की तकनीक पर आधारित होगी. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के 73.5 प्रतिशत मतदाताओं का वोटर आईडी कार्ड (Voter ID card) उनके आधार कार्ड से लिंक किया जा चुका है. जिन भी मतदाताओं का डाटा आधार से जुड़ गया है, उन्हें अब वोटर लिस्ट में अपना नाम, पता या फोटो में बदलाव कराने जैसे कामों के लिए कोई अतिरिक्त कागज़ जैसे- जन्म प्रमाण पत्र या निवास प्रमाण पत्र जमा नहीं करना होगा.आधार ऑथेंटिकेशन के ज़रिए सिस्टम अपने आप ही उनकी जानकारी को वेरीफाई कर लेगा, जिससे पूरी प्रक्रिया बेहद तेज़ और आसान हो जाएगी.'भूत-प्रेत' (Bhootpret) ऐप करेगा सारा काम आसानचुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया को घर-घर तक पहुंचाने के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन भी लॉन्च करने की योजना बनाई है. दिलचस्प बात यह है कि इस ऐप को 'भूत-प्रेत' (Bhootpret) ऐप जैसा कुछ नाम दिया जा सकता है, जो इसके अनोखे मकसद को दर्शाता है.इस ऐप से क्या-क्या हो सकेगा?वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना: अब कोई भी युवा जो 18 साल का हो गया है, घर बैठे इस ऐप से अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए आवेदन कर सकेगा.फर्जी वोटरों की छुट्टी: इस ऐप का मकसद 'भूत' (Ghost) यानी ऐसे फर्जी वोटर जो अब दुनिया में नहीं हैं या कहीं और शिफ्ट हो गए हैं, उनके नाम लिस्ट से हटाना है.शिकायत दर्ज कराना: मतदाता चुनाव से जुड़ी कोई भी शिकायत सीधे इस ऐप पर कर सकेंगे."स्वीप 3.0": टेक्नोलॉजी पर रहेगा पूरा जोरयह सारी कवायद चुनाव आयोग के 'स्वीप 3.0' (SVEEP - Systematic Voters' Education and Electoral Participation) अभियान का हिस्सा है. इस नए चरण का पूरा फोकस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से चुनाव प्रक्रिया को युवा-अनुकूल, सरल और पारदर्शी बनाना है.अन्य खास बातें:अब कोई भी युवा साल में चार बार (1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई, 1 अक्टूबर) वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर सकता है, पहले यह मौका साल में सिर्फ एक बार मिलता था.वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को घर बैठे वोट देने जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं.यह बदलाव राजस्थान में चुनावी प्रक्रिया को एक नए युग में ले जाने की तैयारी है, जहां हर काम बस एक क्लिक पर होगा और आम मतदाता को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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