यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड इंडिया: श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्य शास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय संस्कृति की विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इसके महत्व को रेखांकित करते हुए शेखावत ने कहा कि कला की ये कालातीत कृतियाँ सिर्फ साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं। वे दार्शनिक और सौंदर्यात्मक आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्वदृष्टिकोण को तथा हमारे सोचने, अनुभव करने, जीने और स्वयं को अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है। इसके साथ ही, हमारे देश की 14 प्रविष्टियाँ अब यूनेस्को रजिस्टर में शामिल हो गई हैं।
2024 में रामचरितमानस को शामिल किया जाएगा
2024 में, तीन भारतीय साहित्यिक कृतियों, रामचरितमानस, पंचतंत्र और साहित्य-लोक को ‘एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए विश्व समिति की स्मृति (एमओडब्ल्यूसीएपी)’ रजिस्टर में शामिल किया गया। यह पहली बार है कि एक ही समय में तीन भारतीय कलाकृतियाँ शामिल की गई हैं। 1992 में शुरू किया गया यूनेस्को का विश्व स्मृति रजिस्टर, 1992 में यूनेस्को द्वारा शुरू की गई एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है। इसका लक्ष्य दुनिया की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत की पहचान करना, उसे संरक्षित करना और उपलब्ध कराना है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय रजिस्ट्री है जिसमें दुनिया भर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या सामाजिक महत्व के ऐतिहासिक दस्तावेज, पांडुलिपियां, दुर्लभ पुस्तकें, फोटोग्राफ, फिल्में, ऑडियो रिकॉर्डिंग आदि शामिल हैं। इस रजिस्टर में कई देशों के नाम शामिल हैं।
श्रेय : सोशल मीडिया
शास्त्रों में प्राचीन ज्ञान
ये शास्त्र भारत के प्राचीन ज्ञान को प्रतिबिंबित करते हैं, जिसने अनादि काल से मानवता को विश्व को एक बेहतर स्थान और जीवन को अधिक सुंदर बनाने का प्रकाश दिखाया है। – अमित शाह, गृह मंत्री
संस्कृति और चेतना का पोषण श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र हजारों वर्षों से मानव संस्कृति और चेतना का पोषण करते रहे हैं। यह अभूतपूर्व सम्मान भारत की अद्वितीय आध्यात्मिक चेतना, अद्वितीय बुद्धिमत्ता, ज्ञान की स्थायी परंपरा, कालातीत कलात्मक प्रतिभा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता है। – योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में गीता और नाट्य शास्त्र को शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्य कला ने सदियों से संस्कृति और चेतना को संरक्षित रखा है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।”
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