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पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत का बड़ा बयान: भारत-पाक संबंध सुधारने के लिए जरूरी है संवाद

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पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत का बड़ा बयान: भारत-पाक संबंध सुधारने के लिए जरूरी है संवाद

भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत ने भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने दो टूक कहा कि दोनों देशों को आगे बढ़ने के लिए संवाद की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पूरी तरह से ठंडे पड़े हुए हैं और वर्षों से किसी तरह की बातचीत नहीं हो रही है। ऐसे समय में एक पूर्व खुफिया अधिकारी का यह सुझाव कूटनीतिक दृष्टिकोण से खास मायने रखता है।

“समय रेत की तरह हाथ से फिसल रहा है”

दिल्ली में अपनी नई पुस्तक ‘द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाय’ के विमोचन समारोह के दौरान दुलत ने कहा, “समय किसी का इंतजार नहीं करता, यह रेत की तरह हाथ से फिसलता चला जाता है। हमें आगे बढ़ना चाहिए और पाकिस्तान के साथ भी बातचीत की शुरुआत करनी चाहिए। मैं हमेशा यही कहता हूं कि संवाद जरूरी है। बातचीत होती है तो समस्याएं सामने आती हैं और उनके समाधान की संभावना बनती है।”

भारत का रुख साफ: आतंकवाद और संवाद साथ-साथ नहीं

2019 में हुए पुलवामा हमले और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक पाकिस्तान आतंकियों को समर्थन देता रहेगा, सीमा पार से घुसपैठ कराता रहेगा, तब तक किसी भी प्रकार की बातचीत संभव नहीं है। भारत का रुख है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।

“तो बातचीत करने में हर्ज क्या है?” – दुलत

पूर्व रॉ प्रमुख दुलत, जो लंबे समय तक कश्मीर और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात रहे हैं, ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत जरूरी है, क्योंकि बिना बातचीत के समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा, “अगर हम पाकिस्तान से बात नहीं करेंगे तो हम समस्या का समाधान कैसे निकालेंगे? हथियारों और टकराव से संबंध खत्म नहीं होते, बातचीत की पहल जरूरी है। मैं यह नहीं कहता कि कोई रियायत दी जाए, लेकिन संवाद शुरू किया जाना चाहिए।”

फारूक अब्दुल्ला की भूमिका को सराहा

दुलत ने अपनी पुस्तक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की भी सराहना की है। उन्होंने बताया कि फारूक अब्दुल्ला हमेशा केंद्र सरकार के साथ सहयोग की भावना रखते थे और उन्होंने कश्मीर के मसलों को सुलझाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

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