भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष अब पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत हो रहा है। पहलगाम में आतंकी हमला करने वाला पाकिस्तान अब भारत से बुरी तरह पराजित हो रहा है। शनिवार को पाकिस्तान ने रावलपिंडी के पास नूर खान एयरबेस, चकवाल में मुरीद एयरबेस और झंग जिले में रफीकी एयरबेस पर हवाई हमले किए। पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने उसके तीन हवाई ठिकानों को मिसाइलों से निशाना बनाया है। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार देर रात पाकिस्तान के असफल ड्रोन हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने रावलपिंडी समेत महत्वपूर्ण पाकिस्तानी एयरबेसों को निशाना बनाया। भारत के खिलाफ हार का सामना कर रहे पाकिस्तान ने अब भारत के खिलाफ ऑपरेशन बनयान-उल-मर्सूस शुरू करने की घोषणा की है। इस बीच, ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान ने फतेह-1 मिसाइल का प्रक्षेपण किया, जिसे भारत ने आसमान में ही मार गिराया।
भारत के साथ यह संघर्ष पाकिस्तान के लिए बहुत महंगा पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के लिए इससे बुरा समय और कुछ नहीं हो सकता। विशेषकर तब जब इसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बाहर से प्राप्त दान पर निर्भर है। पाकिस्तान कुछ समय से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण मांग रहा था, जिसे एक दिन पहले ही मंजूरी मिली थी। लेकिन युद्ध के बादलों ने पाकिस्तान के लिए स्थिति को जटिल बना दिया है।
पाकिस्तान विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहा है और मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार, पाकिस्तान में 2024 में 2.5% और 2025 में 3% की वृद्धि दर दर्ज होने का अनुमान है। ADB को उम्मीद थी कि सुधार उपायों, आर्थिक स्थिरता और स्थिर विदेशी मुद्रा बाजारों से इस साल निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन अब यह गणित गलत साबित हुआ है।
पाकिस्तानी रुपया गिर रहा है और शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आई है। ऐसे में संघर्ष के डर के बीच नए निवेशक पाकिस्तान की ओर रुख नहीं करेंगे। संघर्ष के बढ़ने से वित्तीय प्रबंधन के प्रयास भी प्रभावित हो सकते हैं, जिससे पाकिस्तान आर्थिक अस्थिरता की ओर बढ़ सकता है।
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