अबू धाबी। डीपी वर्ल्ड के चेयरमैन और सीईओ व पोर्ट्स, कस्टम्स और फ्री जोन कॉरपोरेशन के चेयरमैन माननीय सुल्तान अहमद बिन सुलायेम अपने बेटे गनीम बिन सुलायेम के साथ अबू धाबी स्थित बीएपीएस के हिंदू मंदिर पहुंचे। उन्होंने करीब 2 घंटे मंदिर में बिताए। वहां की वास्तुकला, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का सुल्तान अहमद बिन सुलायेम और उनके बेटे ने अनुभव किया।
वैश्विक मंच पर यूएई का प्रतिनिधित्व करते हैं सुल्तान अहमद बिन सुलायेम
महामहिम सुल्तान अहमद बिन सुलायेम वैश्विक व्यापार और लॉजिस्टिक्स को आकार देने वाले दूरदर्शी व्यक्तित्व हैं। उन्होंने डीपी वर्ल्ड को 60 से ज्यादा देशों में अग्रणी बनाया। साथ ही जेबेल अली फ्री जोन (जेएएफजेडए) को मध्य-पूर्व का सबसे बड़ा केंद्र बनाया। नवाचार और स्थिरता के क्षेत्र में अग्रणी सुल्तान अहमद बिन सुलायेम वैश्विक मंच पर यूएई का प्रतिनिधित्व करते हैं। अबू धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर की उनकी हाल की यात्रा सद्भाव, संस्कृति और साझा मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाती है।
स्वामी ब्रह्मविहारदास जी ने सुल्तान के सहयोग को किया याद
अबू धाबी के बीएपीएस मंदिर में स्वामी ब्रह्मविहारदासजी ने माननीय सुल्तान अहमद बिन सुलायेम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि किस तरह माननीय सुलायेम जी ने मंदिर की यात्रा में निरंतर सहयोग दिया। चाहे कोविड-19 की चुनौतियों के समय मंदिर के पत्थरों के परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराना हो या मंदिर के लिए टिकाऊ और प्रगतिशील पहलों का समर्थन करना। उन्होंने कहा कि उद्घाटन से पहले, उद्घाटन के समय और उसके बाद भी माननीय सुल्तान अहमद बिन सुलायेम की उपस्थिति शक्ति और प्रेरणा का स्रोत रही है।
एक अद्भुत रचना का साक्षात्कार
माननीय सुल्तान अहमद बिन सुलायेम ने कहा कि “मैं सम्मानित हूं कि यहां आया। मैं सम्मानित हूं कि हम इस अद्भुत रचना का एक छोटा हिस्सा बने। जो मैंने आज देखा वह पिछली बार से बिल्कुल अलग है। यह स्थान विशेष है क्योंकि इसका चयन भी प्रेरणादायी था। महामहिम को पता था कि यही सबसे उत्तम स्थान होगा।”
मचान से उत्कृष्ट कृति तक
माननीय सुल्तान अहमद बिन सुलायेम ने कहा कि “जब मैं पहले आया था, मंदिर अधूरा था। यहां मचान, कच्ची जमीन और रेत के ढेर थे। आपने मुझे बताया था कि आगे 3डी प्रिंटेड दीवारें, इमर्सिव स्क्रीन और अद्भुत नक्काशी होगी। मैं समझ तो सकता था, पर कल्पना नहीं कर सकता था। आज इसे पूर्ण रूप में देखना वास्तव में अद्भुत है।”
डिजाइन और अनुभव में समरसता
सुल्तान अहमद बिन सुलायेम ने आगे कहा कि “सब कुछ पूरी तरह मेल खाता है। डिजाइन की समरसता मुस्कान लाती है। यहां आगंतुक केवल स्वागत ही नहीं पाते, बल्कि संस्कृति, शिक्षा और समझ का अनुभव करते हैं। यह यात्रा स्वयं में एक समरसता और संस्कृतियों को जोड़ने वाला पुल है।”
सभ्यताओं की कहानियां कहती नक्काशी
उन्होंने कहा कि “गहराई और बारीकी में असाधारण, राजा सुलेमान से लेकर भारतीय महाकाव्यों, लैटिन अमेरिका और चीन तक। हर नक्काशी एक कहानी कहती है। यह कला हमारे समय में अनुपम है।”
सहिष्णुता और समरसता की धरोहर
महामहिम सुल्तान अहमद बिन सुलायेम ने कहा कि “समरसता महामहिम शेख जायेद से शुरू नहीं हुई। इसे उनके पूर्वजों ने आगे बढ़ाया और महामहिम शेख मोहम्मद इसे आगे ले जा रहे हैं। इसी कारण विभिन्न समुदायों के लोग, विशेषकर भारतीय, यहां सदैव अपने-घर जैसा महसूस करते हैं। सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है।”
“यह मायने नहीं रखता कि आपका पिता या दादा कौन थे; मायने यह रखता है कि आपने क्या किया। आपको अपनी किंवदंती स्वयं बनानी होगी। यही हमारी संस्कृति है। समरसता, समानता और कानून के समक्ष सम्मान।”
केवल संरचना नहीं, आत्मा का स्थल
उन्होंने कहा कि “यह मंदिर आपको अनंत अनुभूति देता है। मन, हृदय और आत्मा सभी तृप्त होते हैं। आगंतुक केवल एक संरचना नहीं देखते, बल्कि आत्मा का अनुभव करते हैं। यहां सेवा में लगे लोगों की समर्पणभावना बिना बोले ही कहानी कहती है। हर यात्रा नया अनुभव देती है और मैं यहां बार-बार आने की प्रतीक्षा करूंगा।”
The post Sultan Ahmed Bin Sulayem Visits BAPS Temple: अबू धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर पहुंचे महामहिम सुल्तान अहमद बिन सुलायेम, बेटे के साथ वास्तुकला, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव किया appeared first on News Room Post.
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