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अरविंद नेताम की RSS कार्यक्रम में उपस्थिति: आदिवासी राजनीति में नया मोड़

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अरविंद नेताम का RSS कार्यक्रम में शामिल होना

अरविंद नेताम, जो आदिवासी राजनीति के प्रमुख और वरिष्ठ नेताओं में से एक माने जाते हैं, 5 जून को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्मृति मंदिर परिसर में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम संघ के द्वितीय वर्ष 'अखिल भारतीय कार्यकर्ता विकास वर्ग' के समापन अवसर पर हो रहा है, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी उपस्थित रहेंगे। नेताम और भागवत की इस साझा उपस्थिति को राजनीतिक और वैचारिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


नेताम का राजनीतिक सफर

83 वर्षीय अरविंद नेताम इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस की आदिवासी राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। वे मध्य प्रदेश (वर्तमान छत्तीसगढ़) से लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और बस्तर क्षेत्र में आदिवासी चेतना के एक सशक्त प्रतिनिधि के रूप में उनकी पहचान बनी हुई है।


संघ की आदिवासी नीति में नेताम की भूमिका

हाल के वर्षों में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आदिवासी समुदायों के बीच अपनी सक्रियता बढ़ा रहा है और कई राज्यों में वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों के माध्यम से जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा है। इस संदर्भ में, अरविंद नेताम जैसे प्रतिष्ठित आदिवासी नेता की उपस्थिति को संघ की आदिवासी नीति के प्रतीकात्मक विस्तार के रूप में देखा जा सकता है। यह न केवल संघ के लिए वैचारिक विविधता को दर्शाता है, बल्कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में आदिवासी राजनीति को पुनर्परिभाषित करने का प्रयास भी हो सकता है।


पिछले उदाहरण: प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी प्रमुख नेता को संघ के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। जून 2018 में, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उनकी उपस्थिति पर देशभर में राजनीतिक बहस हुई थी, जिसमें उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद की परिकल्पना को लेकर स्वतंत्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया था।


नेताम के विचारों का महत्व

अरविंद नेताम की मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने की तैयारी को एक वैचारिक संवाद के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेताम इस कार्यक्रम में क्या विचार व्यक्त करते हैं। क्या वे इसे सामाजिक समरसता के मंच के रूप में इस्तेमाल करेंगे या संघ के वैचारिक विमर्श में किसी तरह की सहभागिता जताएंगे? छत्तीसगढ़ और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव रखने वाले नेताम की संघ कार्यक्रम में भागीदारी निश्चित रूप से केवल औपचारिकता नहीं है। यह घटनाक्रम संघ की दीर्घकालिक रणनीति, कांग्रेस से टूटते रिश्तों और आदिवासी राजनीति में एक नए विमर्श की संभावित शुरुआत का संकेत हो सकता है।


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