लाइव हिंदी खबर :- सनातन धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। हर साल 12 अमावस्या आती हैं, जब जप, तप, ध्यान और देवी-देवताओं की पूजा करने से जीवन में नकारात्मकता का नाश होता है।
इनमें सोमवती अमावस्या को विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह साल में दो बार मनाई जाती है। यह सोमवार को पड़ने के कारण सोमवती कहलाती है। इस बार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि, यानी अमावस्या, 14 दिसंबर को है। इस दिन स्नान का विशेष महत्व है।
इसके अलावा, इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए गंगा घाटों पर पूजा और तर्पण किया जाता है। एक मान्यता के अनुसार, पति की लंबी उम्र के लिए भी व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि।
सोमवती अमावस्या का महत्व-
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।
जो लोग अपने पितरों की शांति चाहते हैं, उन्हें इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
इस दिन मौन व्रत रखने का भी महत्व है। जो व्यक्ति मौन व्रत रखता है, उसे सहस्त्र गोदान के समान फल मिलता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
इस दिन क्या करें-
: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाओं को शिव जी से पति की दीर्घायु की प्रार्थना करनी चाहिए।
: धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है, क्योंकि इसके मूल में विष्णु जी, अग्रभाग में ब्रह्मा जी और तने में शिव जी का वास माना जाता है।
: विवाहित महिलाओं को इस दिन पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करनी चाहिए और कम से कम 108 बार परिक्रमा करते हुए पति की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए।
अमावस्या से जुड़ी कुछ खास बातें…
: पैसों की कमी से परेशान लोग इस दिन तुलसी माता की 108 बार परिक्रमा करें और श्री हरी का नाम जपें। ऐसा करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है।
: अमावस्या के दिन वृक्ष, लता आदि को काटने और पत्तों को तोड़ने से ब्रह्महत्या का पाप लगता है, जैसा कि विष्णु पुराण में उल्लेखित है।
: शनि और पितृदोष से मुक्ति के लिए उड़द की दाल, काला कपड़ा, तला हुआ पदार्थ और दूध गरीबों को दान करें।
: धन-धान्य और सुख-संपत्ति पाने के लिए हर अमावस्या को एक छोटा आहुति प्रयोग करें, जिसमें काले तिल, जौ, चावल, गाय का घी, चंदन पाउडर, गुड़, देशी कपूर, गौ चंदन या कण्डा का प्रयोग करें। इसके बाद सभी चीजों का मिश्रण बनाकर हवन कुंड में देवताओं का ध्यान करते हुए आहुति डालें।
You may also like
Afghanistan expose Pakistan: अफगानिस्तान ने पाकिस्तानी सेना के झूठे दावे की खोली पोल, कहा- हमारे यहां भारत ने कोई हमला नहीं किया
दूध में मिलाकर पीयें बस यह एक चीज़, होंगे बेहतरीन फायदे और दूर रहेंगी बीमारियां ˠ
उत्तराखंड में स्कूलों में पढाई जाएगी श्रीमद्भागवत गीता, सीएम धामी ने किया ऐलान
दिल्ली में बेटी ने मां के घर की चोरी की, जानें चौंकाने वाली वजह
Andhra Pradesh High Court Recruitment 2025: 1621 पदों के लिए करें आवेदन, यहां देखें डिटेल्स