दृष्टिबाधित सिमरन शर्मा और एक हाथ गंवा चुके निषाद कुमार ने जीता स्वर्ण पदक
पैरा-एथलीट सिमरन शर्मा और निषाद कुमार ने व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करते हुए विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते। उत्तर प्रदेश के मोदीनगर की सिमरन और हिमाचल प्रदेश के बदायूं के कुमार ने जेएलएन स्टेडियम में शाम के सत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। दोनों ने अपने-अपने वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर मेजबान टीम के कुल पदकों की संख्या 15 पहुंचा दी। टीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सिमरन जन्म से ही दृष्टिबाधित थीं जबकि एक हाथ गंवा चुके निषाद ने जहां अपने जन्मदिन ऊंची कूद में एशियाई रिकॉर्ड बनाया, जबकि दृष्टिबाधित सिमरन ने 100 मीटर स्प्रिंट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए भारत के पदकों की संख्या 15 तक पहुंचाई। भारत ने अब तक 15 पदक जीते हैं - छह स्वर्ण, पाँच रजत और चार कांस्य - प्रतियोगिता के दो दिन शेष हैं।
दिव्यांग होने के बावजूद नहीं मानी हार
सिमरन जन्म से ही दृष्टिबाधित थीं। जबकि निषाद ने आठ साल की उम्र में चारा काटने वाली मशीन से जुड़ी एक दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ गंवा दिया था। दोनों ने बड़े होते हुए चुनौतीपूर्ण समय का सामना किया, लेकिन अपने धैर्य, दृढ़ संकल्प और जुझारूपन से हार नहीं मानी।
खुद को दिया जन्मदिन का तोहफ़ा, अमेरिका, तुर्की को कांस्य-रजत पर रोका
विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कुमार ने पुरुषों की ऊँची कूद टी47 फ़ाइनल में 2.14 मीटर के नए एशियाई रिकॉर्ड के साथ पहला स्थान हासिल करके खुद को एक खास जन्मदिन का तोहफ़ा दिया। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 2.14 मीटर का बार पार कर लिया, जिससे उन्होंने पेरिस में 2023 संस्करण में बनाए गए 2.09 मीटर के अपने पिछले रिकॉर्ड को को तोड़ दिया।वर्तमान विश्व रिकॉर्ड धारक, अमेरिका के रोडरिक टाउनसेंड ने 2.03 मीटर की छलांग लगाकर कांस्य पदक जीता। रजत पदक तुर्की के अब्दुल्ला इल्गाज़ ने जीता, जिन्होंने 2.08 मीटर का नया यूरोपीय रिकॉर्ड बनाया।
मां ने बढ़ाया हौंसला
निषाद, जिन्होंने 2007 में अपने किसान पिता के साथ खेत में काम करते हुए एक दुखद दुर्घटना में अपना हाथ गँवा दिया था, को उनकी माँ पुष्पा देवी – जो स्वयं एक राज्य-स्तरीय वॉलीबॉल खिलाड़ी और डिस्कस थ्रोअर थीं – ने ही उन्हें डटे रहने की शक्ति और साहस प्रदान किया।
सिमरन ने शुरू से अंत तक बढ़त बनाए रखी
25 वर्षीय सिमरन ने महिलाओं की 100 मीटर टी12 फ़ाइनल में 11.95 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ जीत हासिल करके भारतीयों को गौरवांतित कर दिया। अपने गाइड उमर सैफी के साथ दौड़ते हुए, सिमरन ने शुरू से अंत तक बढ़त बनाए रखी और पदक जीतने में उल्लेखनीय शक्ति और लचीलापन दिखाया। रजत पदक चीन की लियांग यानफेन (गाइड तियान हाओयू) ने 12.11 सेकंड के समय के साथ हासिल किया, जबकि स्पेन की गार्सिया फोलगाडो नागोर (गाइड राफेल क्विजल रोमेरा) ने 12.11 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ कांस्य पदक जीता।
मां ने बढ़ाया हौंसला
सिमरन का जन्म समय से पहले हुआ था और उन्होंने पहले 10 हफ़्ते एक इनक्यूबेटर में बिताए, जहाँ पता चला कि उनकी दृष्टि बाधित है। चिकित्सक पिता मनोज कुमार और एक हाउसवाइफ सविता शर्मा के घर जन्मीं सिमरन का सपना हमेशा एक खिलाड़ी बनना था। उन्होंने सभी चुनौतियों के बावजूद खुद को इस मुकाम तक ले जाने के लिए मानसिक तौर तैयार किया और दृढ़ निश्चय किया एथलेटिक्स में उनका सफ़र मोदीनगर से शुरू हुआ, जहाँ उन्हें उनके पति गजेंद्र सिंह ने प्रशिक्षित किया। मां ने बढ़ाया हौंसला
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