भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं जिनकी महिमा आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। साथ ही, महादेव के सभी मंदिर पंचतत्वों को भी दर्शाते हैं। वहीं, भारत के कर्नाटक राज्य में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जहाँ एशिया का सबसे ऊँचा शिवलिंग मौजूद है और 1 करोड़ शिवलिंग भी स्थापित हैं। आइए जानते हैं उस मंदिर से जुड़ी मान्यता।
कोटिंगलेश्वर मंदिर की क्या है मान्यता?
कर्नाटक के कोलार जिले के कमान सांद्रा गाँव में स्थित कोटिंगलेश्वर धाम महादेव का एक अनोखा मंदिर है। यह धाम अपने 108 फीट ऊँचे शिवलिंग के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, जिसे दुनिया का सबसे ऊँचा शिवलिंग माना जाता है। इस मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहाँ लाखों छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित हैं। ऐसी परंपरा है कि जब किसी भक्त की मनोकामना पूरी होती है, तो वह अपनी सामर्थ्य के अनुसार यहाँ 1 से 3 फीट का शिवलिंग स्थापित करवाता है।
इस विशाल शिवलिंग के सामने नंदी की 35 फीट ऊँची मूर्ति भी स्थापित है। कोटिलिंगेश्वर के मुख्य मंदिर के अलावा, मंदिर परिसर में 11 अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ विराजमान हैं। भक्तों का मानना है कि मंदिर परिसर में स्थित दो वृक्षों पर पीला धागा बाँधने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, खासकर विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं। यह धाम भक्तों के लिए आस्था और चमत्कारों का केंद्र है।
चमत्कारों से घिरा है कोटिलिंगेश्वर मंदिर
इस मंदिर में एक बहुत विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसके सामने नंदी महाराज भव्य और विशाल रूप में विराजमान हैं। इस विशाल शिवलिंग के तीनों ओर देवी माँ, गणेशजी, कुमारस्वामी और नंदी महाराज की मूर्तियाँ इस प्रकार सुसज्जित हैं मानो वे अपने आराध्य देव की आराधना में लीन हों। मंदिर का यह दृश्य और यहाँ सभी मनोकामनाएँ पूरी होने की मान्यता दूर-दूर से हज़ारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
जब कोई भक्त मंदिर में प्रवेश करता है, तो कोटिलिंगेश्वर की मूर्ति को देखकर उसे ऐसा लगता है मानो उसने भगवान शिव के साक्षात दर्शन कर लिए हों। कोटिलिंगेश्वर स्वरूप में भोलेनाथ अत्यंत भक्तिमय एवं सरल प्रतीत होते हैं, मानो वे अपने भक्तों के दुःख-दर्द दूर करने के लिए तत्पर हों। मुख्य मंदिर के अलावा, इस मंदिर परिसर में 11 अन्य छोटे मंदिर भी हैं, जिनमें प्रमुख हैं ब्रह्माजी, विष्णुजी, अन्नपूर्णेश्वरी देवी, वेंकटरमणी स्वामी, पांडुरंग स्वामी, पंचमुख गणपति और राम, लक्ष्मण एवं सीता के मंदिर।
यहाँ एक विशेष मान्यता है कि मंदिर परिसर में स्थित दो वृक्षों पर पीले धागे बाँधने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। विशेषकर विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं। मंदिर प्रशासन मामूली शुल्क लेकर गरीब परिवारों की कन्याओं का विवाह संपन्न कराता है और पूरे आयोजन की व्यवस्था करता है। मंदिर दूर-दूर से आने वाले भक्तों के भोजन और आवास की भी उत्तम व्यवस्था करता है। महाशिवरात्रि पर इस मंदिर की शोभा देखने लायक होती है, जब लाखों भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर पुण्य अर्जित करते हैं।
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