वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि सोमवार, 22 सितंबर से शुरू होगी। यह नौ दिवसीय उत्सव पूरे नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान, देवी दुर्गा और उनके नौ अलग-अलग रूपों की प्रतिदिन पूजा की जाती है। उनके लिए व्रत भी रखे जाते हैं। नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में भक्त कठोर साधना करते हैं।
ज्योतिषियों का मानना है कि दशकों बाद शारदीय नवरात्रि के दौरान एक अद्भुत संयोग बन रहा है। यह संयोग 1941 जैसा ही है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की तिथियां, योग और घटस्थापना पूजा का समय लगभग एक जैसा है। इन योगों में देवी दुर्गा की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होगा। आइए जानें इसके बारे में सब कुछ:
शारदीय नवरात्रि शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सोमवार, 22 सितंबर को प्रातः 1:23 बजे प्रारंभ होगी और 23 सितंबर को प्रातः 2:55 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि को शुभ माना जाता है। शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होगी। इस दिन घटस्थापना की जाएगी और देवी दुर्गा की पूजा की जाएगी।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त
22 सितंबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त है। भक्त अपनी सुविधानुसार कलश स्थापना कर देवी दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
वर्ष 1941 का पंचांग
वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 1941 में सोमवार, 22 सितंबर को शुरू हुई थी। इस दिन प्रतिपदा तिथि सुबह 7:21 बजे थी। वहीं, प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर को सुबह 10:08 बजे शुरू हुई थी। वर्ष 2025 में घटस्थापना के दिन ब्रह्म योग बन रहा है।
21 सितंबर 1941 को रात्रि 10:50 बजे तक ब्रह्म योग बना था। घटस्थापना का समय प्रातः 05:34 से 07:21 बजे तक था। इसी समय बालव करण भी था। कुल मिलाकर 84 वर्षों बाद शारदीय नवरात्रि पर ऐसे ही कई संयोग बन रहे हैं।
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