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जानिए उस गांव के बारे में जहां शनिदेव का हुआ जन्म, घरों के दरवाजे पर नहीं है कुंडी, मान्यता ये कि चोरी की तो अंधे हो जाएंगे

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राजस्थान की धरती चमत्कारों और मान्यताओं की खान रही है। यहां एक ऐसा भी गांव है जिसे शनिदेव की जन्मस्थली माना जाता है। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां के घरों के दरवाजों पर न तो ताले लगाए जाते हैं और न ही कुंडी डाली जाती है। स्थानीय मान्यता है कि अगर किसी ने यहां चोरी करने की कोशिश की, तो वह व्यक्ति अंधा हो जाएगा। यही आस्था और डर गांव को अब तक पूरी तरह सुरक्षित बनाए हुए है।

कहां है ये अनोखा गांव?

यह चमत्कारी गांव राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित ढोई गांव है। कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, शनिदेव का जन्म यहीं हुआ था। यही वजह है कि गांव को शनिदेव की जन्मभूमि माना जाता है। स्थानीय निवासी और पंडितजन बताते हैं कि शनिदेव का बालरूप यहीं प्रकट हुआ था और यहीं से उन्होंने न्याय और कर्म के देवता के रूप में अपनी यात्रा शुरू की।

चोरी तो अंधेपन का श्राप

ढोई गांव में एक अजीब लेकिन रोचक परंपरा है—यहां किसी भी घर में न ताले मिलेंगे और न दरवाजों पर कुंडियां। लोगों को अपनी संपत्ति की चिंता नहीं होती, क्योंकि उनका विश्वास है कि अगर किसी ने चोरी की तो शनिदेव उसे अंधत्व का श्राप देंगे। आज तक इस गांव से चोरी की कोई पक्की घटना दर्ज नहीं हुई है। यह आस्था ही गांव की सबसे बड़ी सुरक्षा बन चुकी है।

शनिदेव मंदिर बना आस्था का केंद्र

गांव में शनिदेव का एक प्राचीन और बेहद पूजनीय मंदिर स्थित है, जहां हर शनिवार को दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। शनिदेव की काली पत्थर की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में विराजमान है, जिसे देख भक्त भावविभोर हो जाते हैं। शनिचरी अमावस्या और शनिवार को यहां विशाल मेले जैसा माहौल होता है। भक्तों की लंबी कतारें, भजन-कीर्तन और भंडारे इस स्थल को जीवंत बना देते हैं।

गांव की जीवनशैली में रचा-बसा है श्रद्धा

गांव के लोग बेहद साधारण जीवन जीते हैं, लेकिन उनकी आस्था बहुत गहरी है। यहां कोई नशा नहीं करता, झगड़े नहीं होते और पंचायतों में भी कभी कोई बड़ा विवाद नहीं आया। लोग मानते हैं कि शनिदेव सब देख रहे हैं और अन्याय करने वाला कभी नहीं बच पाएगा।

विकास की ओर बढ़ता पवित्र स्थान

धार्मिक पर्यटन के रूप में ढोई गांव की ख्याति बढ़ती जा रही है। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस क्षेत्र के विकास की दिशा में कई कदम उठाए हैं। सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं में सुधार हुआ है। मंदिर तक जाने के लिए बेहतर मार्ग और रुकने की व्यवस्था भी अब तैयार की जा रही है।

निष्कर्ष

ढोई गांव न सिर्फ शनिदेव की जन्मस्थली के रूप में पूजनीय है, बल्कि एक ऐसा आदर्श भी प्रस्तुत करता है जहां आस्था के बल पर समाज शांति, सुरक्षा और सच्चाई के रास्ते पर चल रहा है। यह गांव भारत की उन दुर्लभ जगहों में शामिल है, जहां धर्म, परंपरा और मानवता का जीवंत संगम देखने को मिलता है।

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