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अल्पायु थे मार्कंडेय, उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और अमर हो गए

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भारतीय सनातन संस्कृति में अनेक शक्तिशाली मंत्रों का वर्णन है, जिनमें से एक है "महामृत्युंजय मंत्र"। यह मंत्र ऋषि मारीचि के पुत्र ऋषि वशिष्ठ द्वारा खोजा गया था, जिसे बाद में महर्षि मार्कंडेय ने मृत्यु को जीतने के लिए सिद्ध किया। यह मंत्र "त्रयम्बकम्" मंत्र के नाम से भी जाना जाता है और इसे भगवान शिव को समर्पित किया गया है।

महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

इस मंत्र का अर्थ है:
"हम उस तीन नेत्रों वाले (भगवान शिव) की उपासना करते हैं, जो समस्त सृष्टि को सुगंधित करते हैं और जीवन को पोषित करते हैं। जैसे एक पका हुआ फल बेल से अलग हो जाता है, वैसे ही हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और अमरता प्रदान करें।"

मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र को मृत्यु के भय को दूर करने वाला, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने वाला और रोग, संकट, और पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाला मंत्र माना जाता है। यह मंत्र न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी प्रभाव डालता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

आज के युग में जब हर चीज को वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाता है, तब भी महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव कई शोधों में सामने आया है। माना जाता है कि इसका नियमित जाप मन को शांत करता है, रक्तचाप नियंत्रित करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।

मंत्र जाप की विधि
  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रातः या रात्रि में शुद्ध स्थान पर बैठकर किया जाता है।

  • रुद्राक्ष की माला से इसका 108 बार जाप करने का विधान है।

  • जल में तुलसी डालकर भगवान शिव को अर्पित करें और मंत्र का जाप करें।

  • किसी रोगी या संकट में फंसे व्यक्ति के लिए इस मंत्र का जाप विशेष लाभकारी माना गया है।

किस स्थिति में करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
  • जब कोई व्यक्ति गंभीर बीमारी से ग्रसित हो।

  • दुर्घटनाओं की संभावना हो या भय महसूस हो रहा हो।

  • मानसिक तनाव, नींद न आना या जीवन में निराशा हो।

  • जीवन में किसी बड़े निर्णय से पहले मानसिक स्थिरता के लिए।

निष्कर्ष

महामृत्युंजय मंत्र केवल एक धार्मिक पाठ नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है। यह मृत्यु से नहीं डरने, बल्कि उसे आत्मज्ञान की दिशा में एक कदम मानने की प्रेरणा देता है। भगवान शिव का यह महामंत्र उन सभी के लिए आस्था, बल और जीवन में स्थिरता का स्रोत है, जो उसे विश्वास और श्रद्धा से जपते हैं।

नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति अपने भीतर एक आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करता है और जीवन के हर उतार-चढ़ाव में मजबूती से खड़ा रह सकता है।

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