उज्जैन, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh में अनामक स्तर की कफ सीरप से हुई बच्चों की मौत के बाद जिस प्रकार से प्रदेश का स्वास्थ्य अमला जागरूक हुआ है, उसे लेकर जहां डॉक्टर्स में रोष है वहीं मेडिकल स्टोर्स संचालकों में भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है. इधर सीएमएचओ द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार मेडिकल स्टोर्स संचालकों ने अपनी दुकानों पर आनेवाले पर्चो में चार वर्ष से कम आयु के मरीजों के पर्चो में लिखी कफ सीरप को भी देना बंद कर दिया है.
ऐसे में अनेक डॉक्टर्स ने मंगलवार को बातचीत में कहा कि कफ सीरप लिखना बंद कर दें तो उसका विकल्प,बीमारी के लक्षण अनुसार शासकीय अमल को सुझाना चाहिए,ताकि बच्चे ओर अधिक बीमार न पड़े. बाजार में बड़ी-बड़ी कम्पनियों की कफ सीरप और ड्राप हैं,जिसे वे लिख रहे हैं. यह भी बाजार में उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है. ऐसे में वे पेशोपेश में है कि क्या करें ओर क्या नहीं? इस समय कफ,खांसी की शिकायत नवजात से लेकर छोटे बच्चों में बहुत अधिक आ रही है.
इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.अशोक पटेल से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि जो ड्रग फेल हुआ और जिसके कारण बच्चों की मृत्यु हुई. उस अनुसार उपर के आदेश के तहत उसी काम्बीनेशनवाली कफ सीरप को लेकर डॉक्टर्स को जागरूक किया जा रहा है वहीं मेडिकल स्टोर्स संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि चार वर्ष से कम आयु के बच्चों को लेकर कोई कफ सीरप मांगे तो डॉक्टर का पर्चा देखें. उसके बगैर न दें. ऐसे में यदि डॉक्टर्स लिखते हैं और उसे मेडिकल स्टोर्स वाला देता है,तो यह डॉक्टर की जिम्मेदारी में आएगा.
डॉ.पटेल से इस प्रश्न पर कि कतिपय डॉक्टर्स का कहना है कि जिस सीरप से बच्चों की मौत हुई,उसका बेस मिलावटी था. ऐसा बड़ी कम्पनियां नहीं करती है. ऐसे में सारी कम्पनियों के कफ सीरप और ड्राप यदि लिखना बंद कर देंगे तो दवाई क्या लिखेंगे? डॉ.पटेल ने कहाकि इस संबंध में हमने उसी निर्देश का पालन किया है जो उपर से मिले. बात बच्चों के स्वास्थ्य के साथ जीवन की भी है.
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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