-स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की बदहाल स्थिति पर कोर्ट चिंतित
प्रयागराज, 29 मई . उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई को सुबह 11ः30 बजे न्यायालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने यह निर्देश चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के मामले में दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दिया है.
बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत हलफनामे को “केवल आँखों में धूल झोंकने वाला“ करार दिया. न्यायालय ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि प्रमुख सचिव ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का दौरा भी नहीं किया. न्यायालय ने जोर दिया कि अस्पताल की स्थिति “दयनीय“ है और तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. न्यायालय ने कहा कि प्रमुख सचिव द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें करना पर्याप्त नहीं होगा.
अस्पताल की स्थिति और उठाए गए कदमस्वरूपरानी नेहरू अस्पताल, प्रयागराज के अधीक्षक इंचार्ज, आर.के. कमल, न्यायालय में उपस्थित थे. उन्होंने बताया कि पहले के आदेश के बाद अस्पताल में सफाई का काम शुरू हो गया है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि ट्रॉमा सेंटर के साथ-साथ गैस्ट्रोलॉजी और कार्डियोलॉजी आईसीयू में कुछ एसी (एयर कंडीशनर) काम करने लगे हैं. दवाओं की खरीद के लिए भी आदेश दिए जा चुके हैं. उन्होंने न्यायालय को आश्वस्त किया कि बाकी एसी भी जल्द ही काम करने लगेंगे. अधीक्षक इंचार्ज ने यह भी बताया कि डॉक्टर समय पर ओपीडी में उपस्थित हो रहे हैं और उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. उन्होंने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पताल के डॉक्टरों की सूची भी प्रस्तुत की, जिसे रिकॉर्ड में ले लिया गया. उनके अनुसार, लगभग 50 फीसद डॉक्टर संविदा के आधार पर हैं, और अधिकांश नियुक्तियां 2-3 साल पहले की गई थीं.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रयागराज भी न्यायालय में उपस्थित थे और उन्होंने बताया कि मुर्दाघर के अंदर और आसपास सुधार किया गया है और अप्रैल 2025 से कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने आश्वासन दिया कि मुर्दाघर से संबंधित ऐसी कोई शिकायत दोबारा नहीं आएगी.
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने बताया कि नगर निगम द्वारा पहले के आदेश के बाद आवश्यक कार्रवाई की गई है और स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास सफाई का काम शुरू हो गया है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
मुख्य स्थायी अधिवक्ता डॉ. राजेश्वर त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया कि ओपीडी में उपस्थित रहने वाले डॉक्टरों का विवरण जल्द ही प्रयागराज के लोगों की जानकारी के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाएगा.
छात्रावासों की दयनीय स्थिति और फंड की कमीःकार्यवाही के दौरान, यह भी जानकारी दी गई कि मेडिकल कॉलेज से जुड़े लड़कों और लड़कियों के छात्रावास अत्यंत खराब स्थिति में हैं. इमारत जर्जर हालत में है और शौचालय-वॉशरूम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि जिम्मेदार लोगों द्वारा इन छात्रावासों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाया गया कि केवल प्रयागराज ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों के लिए लड़कों और लड़कियों के छात्रावास रहने योग्य स्थिति में नहीं हैं.
न्यायालय ने पाया कि राज्य सरकार द्वारा अस्पताल के मामलों को चलाने के लिए उचित धन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. यह भी बताया गया कि 2019 से निर्माणाधीन बच्चों का अस्पताल अभी तक पूरा नहीं हुआ है, और बाल रोग विभाग सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय, चर्च लेन में चल रहा है. राज्य सरकार ने पहले यह वचन दिया था कि पूरी सुविधा सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय से स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल परिसर में स्थानांतरित कर दी जाएगी.
प्रयागराज में चिकित्सा सुविधाओं की कमी पर चिंतान्यायालय ने प्रयागराज में चिकित्सा सुविधाओं की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से महाकुंभ 2025 के बाद, जहां दो महीने की अवधि में संगम में 66.30 करोड़ लोगों ने पवित्र स्नान किया था. न्यायालय ने टिप्पणी की कि राज्य सरकार का पूरा ध्यान लखनऊ पर केंद्रित है, जहां संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित हैं. न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि प्रयागराज हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया है, और दुनिया भर से लोगों के भारी प्रवाह को देखते हुए चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत करने की आवश्यकता है.
न्यायालय को यह भी बताया गया कि अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने एक जनहित याचिका संख्या 1184/2024 दायर की है, जिसमें केंद्र सरकार को प्रयागराज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. इस जनहित याचिका में, केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत, केंद्र सरकार ने पहले ही 233 बिस्तरों और 7 ऑपरेशन थिएटरों के साथ एक सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक को मंजूरी दे दी है.
न्यायालय ने कहा कि प्रयागराज शहर के लिए बहुत कम काम किया गया है और बहुत कुछ किया जाना बाकी है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, को न्यायालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया. इसके अतिरिक्त, अधीक्षक इंचार्ज, स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के उप-अधीक्षक इंचार्ज और मुख्य चिकित्सा अधिकारी, प्रयागराज भी कल उपस्थित रहेंगे. न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज के साथ-साथ नगर निगम आयुक्त, स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल परिसर के अंदर और आसपास अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाएं.
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/ रामानंद पांडे
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