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अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे पर सुनवाई अब 31 मई को

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अल्पसंख्यक मंत्रालय और एएसआई ने कोर्ट में पेश किया जवाब

अजमेर, 19 अप्रैल . अजमेर स्थित दरगाह के गर्भगृह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ी याचिका पर शनिवार को सुनवाई टाल दी गई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 मई को होगी.

पूर्व में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका के तहत सरकारी विभागों को दरगाह में चादर पेश करने से रोकने की मांग करते हुए स्थगन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था. शनिवार को हुई सुनवाई में अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की ओर से जवाब दाखिल किया गया.

एडवोकेट योगेंद्र ओझा ने जानकारी दी कि जिला न्यायालय की नई इमारत के उद्घाटन, सुप्रीम कोर्ट से अधिवक्ता के अनुपस्थित रहने और नए प्रार्थना पत्रों के कारण सुनवाई स्थगित करनी पड़ी. इससे पहले भी 19 अप्रैल को सुनवाई प्रस्तावित थी, लेकिन बिजयनगर कांड के विरोध में जिला बार एसोसिएशन द्वारा अजमेर बंद का समर्थन करने के कारण कार्यवाही नहीं हो सकी थी.

याचिका में विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि अजमेर दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर स्थित है. सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को यह याचिका स्वीकार करते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और एएसआई को नोटिस जारी किया था. इसके बाद दरगाह कमेटी ने याचिका खारिज करने की मांग की, जबकि अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान गुलाम दस्तगीर अजमेरी, ए. इमरान (बैंगलोर) और राज जैन (होशियारपुर, पंजाब) ने स्वयं को पक्षकार बनाए जाने की अर्जी दाखिल की है.

याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा द्वारा 1911 में लिखित पुस्तक ‘Ajmer: Historical and Descriptive’ का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि दरगाह का निर्माण एक मंदिर के अवशेषों पर हुआ था. इसके अतिरिक्त, गर्भगृह और परिसर में एक प्राचीन जैन मंदिर होने की भी बात कही गई है.

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/ रोहित

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