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मप्र के छिंदवाड़ा में नौ बच्चों की मौत की वजह कफ सिरप, प्रोडक्शन बैन

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– तमिलनाडु सरकार की जांच में हुआ खुलासा

भोपाल, 04 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में रोग को दूर करने वाला ‘कफ सिरप’ ही नौ बच्चों की मौत का जिम्मेदार बन गया. कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने के बाद पिछले 20 दिन में नौ बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर बच्चों ने नागपुर के निजी अस्पतालों में दम तोड़ा. कई बच्चे अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं.

छिंदवाड़ा जिले के नौ बच्चों की मौत की वजह बताए जा रहे कफ सिरप में जहरीले केमिकल की मिलावट पाई गई है. शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार ने भी इसकी पुष्टि कर दी है. तमिलनाडु सरकार के ड्रग डिपार्टमेंट के अधिकारियों की जांच में श्रीसन कंपनी की कांचीपुरम यूनिट में हुई जांच में खुलासा हुआ है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लॉयकाल की मिलावट है. ये एक जहरीला केमिकल है. इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप के प्रोडक्शन और सेल पर प्रतिबंध लगा दिया है.

तमिलनाडु सरकार द्वारा शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप के जिस बैच नंबर एसआर–13 को बच्चों की मौत के लिए संदिग्ध माना जा रहा है, उसे बनाने में दूषित केमिकल का इस्तेमाल हुआ है. तमिलनाडु ड्रग डिपार्टमेंट ने इस बैच की दवाओं के लिए सैंपल जांच के लिए भेजे थे, 24 घंटे में इसकी रिपोर्ट आ गई. इसी के बाद सरकार ने ये फैसला लिया. तमिलनाडु सरकार के आदेश में कहा गया है कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, इस दवा के निर्माण और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा.

छिंदवाड़ा के एसडीएम शुभम यादव ने बताया कि छह बच्चों में ‘कफ सिरप’ की हिस्ट्री मिली है, जिसमें एक ‘डायएथिलीन ग्लायकॉल’ केमिकल को मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है. इन बच्चों में पांच में कोल्ड्रिफ और एक में नेक्सट्रॉस डीएस की हिस्ट्री मिली है. फिलहाल दोनों सिरप को बैन कर दिया गया है. वहीं, औषधि निरीक्षक शरद जैन ने बताया कि निरीक्षण के दौरान कटारिया फार्मा पर उपलब्ध कोल्ड्रिफ के शेष स्टॉक की खरीदी बिक्री को तत्काल प्रभाव से बंद करवा दिया गया है. इसके साथ ही इस फर्म द्वारा छिंदवाड़ा जिले में भी जहां दवाई सप्लाई की गई थी उन फर्मों से भी इस दवाइयों के क्रय विक्रय को पूर्णतः प्रतिबंध करवा दिया गया है.

उन्होंने बताया कि इस दवाई के सैंपल जिला औषधि निरीक्षक छिंदवाड़ा द्वारा भी लिये जा चुके हैं. सैंपल की रिपोर्ट के आधार पर आगामी विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है. औषधि निरीक्षक ने दवा के सभी थोक एवं फुटकर विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि यदि उनकी फर्म पर कोल्ड्रिफ सिरप उपलब्ध है तो वे नमूनों की जाँच रिपोर्ट आने तक इसका विक्रय न करें और उपलब्ध सिरप को स्टॉकिस्ट को तुरंत वापस कर दें.

इधर, छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन नंदूरकर ने बताया कि रिसर्च में ऐसा पाया गया है कि ‘कोल्ड सिरप’ या ‘कफ सिरप’ बनाने के दौरान ‘डायएथिलीन ग्लायकॉल’ नाम के केमिकल के मिलाए जाने से इस तरह किडनी डैमेज के मामले सामने आते हैं. बैन किए गए दो कफ सिरप में ये केमिकल था या नहीं ये तो जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही पता चलेगा. फिलहाल इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है.

डॉ. नंदूरकर ने बताया कि वैसे तो किडनी डैमेज के कई कारण हो सकते हैं. पानी की खराबी, धातु का होना, जहरीला पदार्थ, डिहाईड्रेशन आदि के कारण भी किडनी डैमेज हो सकती है. अब क्योंकि अभी तक सामने आए मामलों में ये कफ सिरप कॉमन रही है. इस कारण कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस डीएस में ‘डायएथिलीन ग्लायकॉल’ केमिकल गड़बड़ी की संभावना जताई जा रही है.

डॉ. पवन नंदूरकर ने बताया कि अब तक नौ बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें दिव्यांश चंद्रवंशी (7 वर्ष), अदनान खान (5 वर्ष), हेतांश सोनी (5), उसैद (4), श्रेया यादव (18 माह), विकास यदुवंशी (4), योगिता विश्वकर्मा (5 वर्ष), संध्या भोसोम (सवा साल) और चंचलेश यदुवंशी शामिल है. दो बच्चों की मौत पिछले तीन दिनों में हुई है. सवा साल की संध्या भोसोम 17 सितंबर को बीमार हुई थी. उसे 18 सितंबर को परासिया के निजी चिकित्सालय लाया गया था. फिर उसका इलाज सरकारी अस्पताल में चला. इसके बाद फिर परासिया के निजी चिकित्सालय में वापस 26 सितंबर को भर्ती किया गया. बाद में उसे सीएचसी परासिया से छिंदवाड़ा रेफर किया गया. छिंदवाड़ा जिला चिकित्सालय से संध्या को 28 सितंबर को नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. नागपुर में एक अक्तूबर को उसकी मौत हो गई. संध्या के अलावा गायगोहान के चंचलेश यदुवंशी की भी नागपुर में उपचार के दौरान मौत हुई है.

एसडीएम शुभम यादव ने बताया कि पूरे इलाके में 1420 बच्चों को मैपिंग की गई है. इन बच्चों को वायरल हुआ था. सभी पर नजर रखी जा रही है. परासिया में गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है. निजी अस्पतालों को कहा गया है कि वे वायरल केस आने पर उसे ट्रीट न करें. सीधे सरकारी अस्पताल को सूचित करें. जो व्यवस्था सरकार की तरफ से बनाई गई है. उसमें बच्चे का इलाज होगा. उन्होंने बताया कि पानी की जांच की गई हैं. वे सभी सामान्य हैं.

एसडीएम शुभम यादव यादव ने बताया कि बच्चों को बुखार होने के साथ ही उल्टी-दस्त और खांसी भी है. ये पैटर्न 2022 में गांबिया में भी देखने को मिला था. वहां पर भारत से वैक्सीन गईं थी. इस आधार पर वहां जांच हुई तो पता चला कि कफ सिरप में एक केमिकल था, जो घटना के लिए जिम्मेदार था, जिसकी वजह से बच्चों की किडनी पर असर पड़ा था. इसी आधार पर परासिया में भी जांच हो रही है. उनका कहना है कि ब्लॉक में दो लाख से ज्यादा की आबादी है, इसमें 25 हाजर बच्चे हैं, जो पांच साल के या फिर इससे छोटे हैं. आशा वर्कर की मदद से सर्वे करके अब तक करीब 4658 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है. इसमें से 4411 के टेस्ट किए जा चुके हैं इनकी रिपोर्ट सामान्य आई है. अभी अस्पताल में भर्ती बच्चों में से तीन की हालात गंभीर है, उनको डायलिसिस दिया जा रहा है. वे वेंटीलेटर पर हैं.

क्या मिला जांच में?

कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल की यूनिट से कोल्ड्रिफ़ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त किया गया. जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ, जो संभवतः डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था. दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं. जैसे ही सैंपल चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे गए, वहां से 24 घंटे में रिपोर्ट दी गई.

जांच रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु सरकार का एक्शन

– पूरे राज्य में कोल्ड्रिफ़ सिरप की बिक्री–वितरण पर तुरंत रोक लगाई गई. सभी ड्रग इंस्पेक्टर्स को थोक और रिटेल दुकानों से स्टॉक फ्रीज करने का आदेश दिया. ओडिशा और पुडुचेरी के अधिकारियों को भी अलर्ट किया गया. कंपनी को स्टॉप प्रोडक्शन ऑर्डर जारी कर दिया गया. मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस कैंसिल करने के लिए शो-कॉज नोटिस भी भेजा गया.

तमिलनाडु सरकार ने रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि Madhya Pradesh सरकार की ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने 1 अक्टूबर को 3.37 बजे कोल्ड्रिफ कफ सिरप की सूचना भेजी थी. 1 और 2 अक्टूबर को तमिलनाडु में सरकारी छुट्टी थी. इसके बावजूद हमने 27 मिनट के भीतर इस पर एक्शन लिया और जांच के आदेश जारी किए. तमिलनाडु सरकार के डिप्टी डायरेक्टर ड्रग कंट्रोलर एस गुरुभारती ने सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर की जांच टीम बनाई. उसी दिन ये टीम फैक्ट्री में जांच के लिए पहुंची. इसके बाद अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को भी जांच टीम फैक्ट्री पहुंची. जांच टीम को फैक्ट्री में कई तरह के प्रोटोकाल के उल्लंघन मिले हैं.

(Udaipur Kiran) तोमर

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