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हिसार : क्रॉस एग्जामिनेशन पर न्याय रक्षकों के लिए वर्कशॉप का आयोजन

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न्याय रक्षकों को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

हिसार, 18 मई . हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव के आदेशानुसार जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुराधा साहनी व प्राधिकरण के सचिव अशोक कुमार के मार्गदर्शन में एडीआर सेंटर सभागार में एक विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया गया. यह वर्कशॉप ‘क्रॉस एग्जामिनेशन’ विषय पर केंद्रित थी जिसमें न्याय रक्षकों को इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की गहराई से जानकारी दी गई. कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन अधिवक्ता पीके संधीर ने रविवार को क्रॉस एग्जामिनेशन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला व हिसार कार्यालय परिसर में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर अन्य जिलों के न्याय मित्रों को महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने बताया कि क्रॉस एग्जामिनेशन न केवल सच्चाई को उजागर करने का एक सशक्त माध्यम है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता लाने का भी एक प्रभावी साधन है. उन्होंने बताया कि क्रॉस एग्जामिनेशन की तैयारी कैसे की जाए, प्रभावी पूछताछ की तकनीक और शैली, कमजोर गवाहों (जैसे बच्चे, हमले के पीड़ितों) से पूछताछ करते समय विशेष सावधानियां, कानूनी नैतिकता और पेशेवर आचरण के नियम, विधिक सहायता मामलों में क्रॉस एग्जामिनेशन की भूमिका के बारे मे बताया. उन्होंने बताया कि हर केस में क्रॉस एग्जामिनेशन की जरूरत और उसकी सीमा को समझना आवश्यक है. विशेष रूप से जब गवाह कमजोर हो, तो पेशेवर और नैतिक मूल्यों का पालन अत्यंत आवश्यक हो जाता है. परीक्षा व क्रॉस एग्जामिनेशन की चुनौतियों के बारे में उपयोगी जानकारी दी गई.पीके संधीर ने बताया कि किन परिस्थितियों में अत्यधिक क्रॉस एग्जामिनेशन प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है और कैसे वकीलों को संतुलन बनाकर काम करना चाहिए. उन्होंने विशेष रूप से विधिक सहायता मामलों को संभालने वाले बचाव पक्ष के वकीलों को सुझाव दिए कि वे केस की प्रकृति, गवाह की मानसिक स्थिति और अदालत की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए पूछताछ करें.इंटरएक्टिव सेगमेंट में विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि हर क्रॉस एग्जामिनेशन का उद्देश्य गवाह की विश्वसनीयता की जांच करना है, न कि उसे डराना या भ्रमित करना. अदालत में नैतिक सीमाओं का पालन करते हुए ही प्रभावी अधिवक्ता बना जा सकता है. कानून की सेवा करते समय सामाजिक न्याय का ध्यान रखा जाना चाहिए. अधिवक्ताओं को कई बार असहयोगी गवाहों, जटिल केस फाइलों और समय-सीमा के दबाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सही रणनीति और अनुभव ही सफलता की कुंजी बनते हैं.

/ राजेश्वर

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