नई दिल्ली, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का उद्देश्य अगले दस वर्षों में 16 प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करना है, जिन्हें छह रणनीतिक स्तंभों के अंतर्गत विभाजित किया गया है। यह जानकारी केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
शाह ने कहा कि देश के सहकारी क्षेत्र को नया दृष्टिकोण और गतिशीलता प्रदान करने के लिए इस साल 24 जुलाई को नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 लॉन्च की गई है। यह नीति सहकारी क्षेत्र के समग्र, संतुलित और व्यवस्थित विकास के लिए एक व्यापक खाका प्रस्तुत करती है। इसका उद्देश्य विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करना है। यह नीति अगले 10 वर्षों में 16 प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से तैयार की गई है, जिन्हें छह प्रमुख रणनीतिक स्तंभों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। इसका उद्देश्य न केवल सहकारी संस्थाओं की सुदृढ़ता सुनिश्चित करना है, बल्कि उन्हें तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम बनाना भी है।
छह रणनीतिक मिशन स्तंभ-
नींव को सशक्त बनाना — सहकारी संस्थाओं के लिए अनुकूल कानूनी व नियामकीय ढांचा बनाना, पारदर्शिता, स्वायत्तता और व्यवसाय करने में सुगमता सुनिश्चित करना।
वाइब्रेंसी को बढ़ावा देना — सहकारी व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का विकास, अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच और सदस्यों की आय में वृद्धि।
भविष्य के लिए तैयार करना — तकनीकी अपनापन बढ़ाना और सहकारिता आधारित आर्थिक संस्थाओं को व्यावसायिक रूप से संचालित करना।
समावेशिता को बढ़ावा देना — युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर सहकारिता को जन-आंदोलन बनाना।
नवीन क्षेत्रों में प्रवेश — पर्यावरणीय स्थिरता और परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए नए क्षेत्रों में सहकारिता की भागीदारी सुनिश्चित करना।
युवाओं को सशक्त बनाना — सहकारी क्षेत्र में करियर को बढ़ावा देने के लिए स्किलिंग, कोर्सेस और रोजगार पोर्टल्स का निर्माण।
सहकार टैक्सी: सहकारी मॉडल पर आधारित डिजिटल पहल
शाह ने बताया कि सहकार से समृद्धि के सिद्धांत पर आधारित एक नई पहल के तहत सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड नामक एक मल्टी-स्टेट टैक्सी सहकारी संस्था पंजीकृत की गई है। यह संस्था एक ऐप-आधारित टैक्सी सेवा शुरू करेगी जो ड्राइवर-सदस्यों और ग्राहकों दोनों के लिए लाभकारी होगी। यह परियोजना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा इफको, नेफेड, अमूल, कृभको, एनडीडीबी, एनसीईएल और नाबार्ड जैसे सात प्रमुख सहकारी संगठनों के सहयोग से प्रोत्साहित की जा रही है। इसका पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली और गुजरात में शुरू किया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि बहु-राज्य सहकारी समितियां अधिनियम, 2002 में 2023 में संशोधन के बाद, कोई भी मल्टी-स्टेट सहकारी संस्था बहुमत से प्रस्ताव पारित कर सहायक संस्थान स्थापित कर सकती है और अपनी निधियों का निवेश निर्धारित स्रोतों में कर सकती है। इनमें सहकारी बैंकों, सरकारी प्रतिभूतियों, सहकारी संस्थाओं के शेयरों तथा सरकारी उपक्रमों में निवेश शामिल है।
छत्तीसगढ़ में 8 मल्टी-स्टेट सहकारी संस्थाएं-
देशभर में कुल 1779 मल्टी-स्टेट सहकारी संस्थाएं पंजीकृत हैं, जिनमें से छत्तीसगढ़ में 8 संस्थाएं कार्यरत हैं। इन संस्थाओं में डेयरी, क्रेडिट, आवास और बहु-उद्देश्यीय क्षेत्र शामिल हैं। प्रमुख संस्थाओं में अमृत डेयरी कोऑपरेटिव, महाकालेश्वर हाउसिंग सोसाइटी, आरोग्य इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव आदि शामिल हैं। शाह ने कहा कि सहकारी क्षेत्र भारत की आत्मा है और इसका समग्र विकास विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
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