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पहलगाम हमले पर धीरेंद्र शास्त्री बोले- हिंदुस्तान में ही हिंदू होना अगर घातक तो इससे बड़ा कोई दुर्भाग्य नहीं

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुखद घटना की चारों ओर निंदा हो रही है, और लोग अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं। इसी बीच, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस हमले पर अपनी बेबाक राय रखी है। उनका बयान न केवल भावनात्मक है, बल्कि समाज को एकजुट होने का संदेश भी देता है। आइए, उनके बयान और इस घटना के मायने को विस्तार से समझते हैं।

पहलगाम हमला: एक राष्ट्रीय त्रासदी

पहलगाम, जो अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक भयावह आतंकी हमले का शिकार बना। इस हमले ने न केवल स्थानीय लोगों को डराया, बल्कि पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ा दी। यह घटना केवल एक हमला नहीं, बल्कि भारत की एकता और अखंडता पर प्रहार है। ऐसे में, देश के हर कोने से लोग इसकी निंदा कर रहे हैं, और धीरेंद्र शास्त्री जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों की आवाज इसे और बुलंद कर रही है।

धीरेंद्र शास्त्री का बयान: हिंदू होने की चुनौती

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने पहलगाम हमले को इस सदी की सबसे निंदनीय घटना करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत में हिंदू होना अगर खतरनाक बन जाए, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। उनके शब्दों में गहरा दर्द और आक्रोश झलकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने हमला करते वक्त न तो जाति पूछी, न धर्म, न भाषा, और न ही क्षेत्र। आतंक का कोई मजहब नहीं होता, और यह हर उस इंसान पर हमला है जो शांति में विश्वास रखता है।

शास्त्री ने समाज को एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम ईंट का जवाब पत्थर से दें। उनका यह बयान केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि देशवासियों के लिए एक प्रेरणा है कि वे आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े हों। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद किसी जाति, वर्ग या समुदाय को नहीं देखता, और इसलिए हमें भी एकजुट होकर इसका जवाब देना होगा।


समाज पर बयान का प्रभाव

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उनके अनुयायी और आम लोग इसे देशभक्ति और एकता का प्रतीक मान रहे हैं। कई लोग उनके इस कथन की सराहना कर रहे हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। हालांकि, कुछ लोग इसे भावनात्मक रूप से उत्तेजक मान रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका उद्देश्य समाज को जागृत करना और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान न केवल जनता में जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि सरकार पर भी आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने का दबाव बनाते हैं।

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