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एअर इंडिया क्रैश का इकलौता बचा शख्स, अब क्यों नहीं करता किसी से बात?

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नई दिल्ली। 12 जून को अहमदाबाद में हुए भयानक एअर इंडिया विमान हादसे ने हर किसी को झकझोर दिया। इस हादसे में सिर्फ एक इंसान जिंदा बचा—विश्वासकुमार रमेश। लेकिन जिंदगी ने उन्हें ऐसा जख्म दिया कि वो आज भी उस दर्द से उबर नहीं पाए हैं। उनकी जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रही।

‘मेरा भाई था मेरा सहारा, अब वो नहीं’

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में विश्वासकुमार रमेश ने अपने दिल का दर्द बयां किया। उन्होंने कहा, “मैं इस हादसे में अकेला जिंदा बचा, लेकिन मुझे अब भी यकीन नहीं होता। ये किसी चमत्कार से कम नहीं, लेकिन इस चमत्कार ने मेरा सब कुछ छीन लिया। मैंने अपने भाई को खो दिया, जो मेरा सबसे बड़ा सहारा था।” रमेश ने बताया कि अब वो दिन-रात अकेले कमरे में बैठे रहते हैं। न पत्नी से बात, न बेटे से—बस खामोशी और उदासी उनका साथी बन गई है।

‘रात भर बस सोचता रहता हूं’

विश्वासकुमार की जिंदगी अब एक कमरे तक सिमट गई है। वो कहते हैं, “मैं अब अकेला हूं। न किसी से बात करता हूं, न कहीं जाता हूं। मेरी पत्नी और बेटा मेरे आसपास हैं, लेकिन मैं उनसे भी दूरी बनाए रखता हूं। इस हादसे ने मुझे और मेरे परिवार को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया है।” उन्होंने बताया कि उनकी मां पिछले चार महीनों से हर दिन दरवाजे के बाहर चुपचाप बैठी रहती हैं। वो कुछ बोलती नहीं, बस खामोश रहती हैं। रमेश कहते हैं, “मुझे अब किसी से बात करने का मन नहीं करता। मैं सारी रात बस सोचता रहता हूं। मेरे दिमाग में बार-बार वही हादसा घूमता है।”

PTSD ने तोड़ा हौसला

विश्वासकुमार ने बताया कि उनके पैर, कंधे, घुटने और पीठ में लगातार दर्द रहता है। इस वजह से वो न तो काम कर पा रहे हैं और न ही गाड़ी चला पा रहे हैं। उनकी पत्नी उनकी हरसंभव मदद करती है, लेकिन दर्द कम नहीं होता। डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) हो गया है। भारत से लीसेस्टर लौटने के बाद उन्हें कोई खास इलाज भी नहीं मिला है।

पारिवारिक बिजनेस भी ठप

विश्वासकुमार का दीव में मछली पकड़ने का पारिवारिक बिजनेस था, जिसे वो अपने भाई के साथ मिलकर चलाते थे। लेकिन हादसे के बाद ये बिजनेस भी बंद हो गया। एअर इंडिया ने उन्हें 21,500 पाउंड का अंतरिम मुआवजा देने की पेशकश की, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। लेकिन कई लोग इसे नाकाफी मानते हैं। विश्वासकुमार की जिंदगी अब दर्द और खामोशी के बीच सिमट गई है, और वो इस सदमे से उबरने की जद्दोजहद में हैं।

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