Next Story
Newszop

1 रुपये का शैंपू, 5-10 रुपये का नमकीन-बिस्कुट… GST कटौती से क्या ये होंगे सस्ते?

Send Push

आम लोगों के लिए बड़ी खबर! सरकार 22 सितंबर से GST 2.0 लागू करने जा रही है, जिससे आपकी रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती हो सकती हैं। नए नियमों में GST के चार स्लैब को हटाकर सिर्फ़ दो स्लैब रखे गए हैं। इसका मतलब है कि ज़रूरी सामानों पर अब कम टैक्स लगेगा, जिससे उनके दाम भी घट सकते हैं।

टूथपेस्ट, शैंपू, नमकीन, बिस्कुट से लेकर कार और बाइक तक, कई चीज़ों की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है। लेकिन सवाल ये है कि क्या 1 रुपये का शैंपू, 5-10 रुपये के नमकीन और बिस्कुट जैसी छोटी चीज़ें वाकई सस्ती होंगी? अगर हाँ, तो कितनी? आइए, GST के इस नए गणित को आसान भाषा में समझते हैं।

GST में कितनी कटौती हुई?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में GST में बड़ी कटौती का ऐलान किया। 12% टैक्स स्लैब को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, और इसमें शामिल ज़्यादातर प्रोडक्ट्स को अब 5% टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है। साथ ही, कुछ 18% स्लैब वाली चीज़ों को भी 5% के दायरे में लाया गया है।

तेल, शैंपू, नमकीन और बिस्कुट जैसे रोज़मर्रा के सामानों पर टैक्स को 18% और 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। आइए जानते हैं कि इस बदलाव से ये चीज़ें कितनी सस्ती हो सकती हैं।

कितने सस्ते होंगे 1 रुपये का शैंपू, 5-10 रुपये के नमकीन-बिस्कुट?

पहले 1 रुपये के शैंपू पर 18% GST के हिसाब से 18 पैसे टैक्स लगता था। अब 22 सितंबर से इसे 5% स्लैब में डालने के बाद सिर्फ़ 5 पैसे टैक्स लगेगा। यानी हर शैंपू पर 13 पैसे की बचत होगी।

5 रुपये की नमकीन पर पहले 12% टैक्स के हिसाब से 60 पैसे GST लगता था। अब 5% टैक्स के बाद ये 25 पैसे हो जाएगा, यानी 35 पैसे की बचत।

10 रुपये की नमकीन पर पहले 12% GST के हिसाब से 1.2 रुपये टैक्स लगता था। अब 5% टैक्स के बाद ये 50 पैसे होगा, यानी 70 पैसे की बचत होगी।

बिस्कुट की बात करें तो 5 रुपये के बिस्कुट पर पहले 18% GST यानी 90 पैसे टैक्स था। अब 5% टैक्स के बाद ये 25 पैसे होगा, यानी 65 पैसे की बचत।

10 रुपये के बिस्कुट पर पहले 18% GST के हिसाब से 1.8 रुपये टैक्स लगता था। अब 5% टैक्स के बाद ये 50 पैसे होगा, यानी 1.3 रुपये की बचत होगी।

क्या कंपनियाँ घटाएँगी कीमतें?

1, 5 और 10 रुपये के इन छोटे प्रोडक्ट्स पर GST में होने वाली बचत कुछ पैसे की है। इतनी छोटी रकम को कीमत में समायोजित करना कंपनियों के लिए मुश्किल हो सकता है। साथ ही, सिक्कों का चलन कम होने के कारण सही दाम पर खरीदारी करना भी आसान नहीं होगा। ऐसे में संभावना है कि कंपनियाँ इन छोटे प्रोडक्ट्स की कीमतें कम न करें।

Loving Newspoint? Download the app now