नवरात्रि का ये आखिरी दौर आ गया है, दोस्तों! जहां हर तरफ मां दुर्गा की भक्ति का जज्बा हवा में घुला हुआ है, वही नवमी का दिन तो जैसे पूरे व्रत का क्लाइमेक्स है। लेकिन सवाल ये है – नवमी कब है? पूजा का बिल्कुल सही मुहूर्त क्या रहेगा? और हां, कन्या पूजन का वो स्पेशल टाइमिंग भी तो जानना जरूरी है, ताकि आपकी भक्ति बेकार न जाए। साथ ही, व्रत पारण का समय भी चेक कर लें, क्योंकि भूखे-प्यासे रहने के बाद ये मोमेंट सबसे मजेदार होता है। चलिए, सब कुछ डिटेल में बताते हैं, ताकि आप बिना किसी कन्फ्यूजन के सेलिब्रेट करें।
नवमी की डेट और तिथि का पूरा हिसाबइस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को नवमी पर खत्म हो रही है। खास बात ये है कि महा नवमी तिथि 30 सितंबर की शाम 6:06 बजे से शुरू होकर 1 अक्टूबर की शाम 7:01 बजे तक चलेगी। यानी, ज्यादातर जगहों पर 1 अक्टूबर को ही नवमी मनाई जाएगी। लेकिन अगर आपका शहर थोड़ा अलग पंचांग फॉलो करता है, तो लोकल पंडित जी से कन्फर्म कर लें। ये दिन मां दुर्गा के नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए सबसे खास है, जो भक्तों को हर सिद्धि देने वाली मानी जाती हैं। सोचिए, कितना पावरफुल दिन है ये!
पूजा मुहूर्त: कब शुरू करें, कब खत्म?नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त मिस न करें, वरना साल भर का फल अधूरा रह जाएगा। इस बार नवमी पूजा के लिए बेस्ट टाइमिंग कुछ इस तरह है – सुबह का पहला मुहूर्त 5:01 से 6:13 बजे तक, फिर दूसरा 7:36 से 9:02 बजे तक, और तीसरा 10:41 से 12:09 बजे तक। अगर आप मां की आरती और हवन करना चाहते हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:30 से 5:30 बजे) भी परफेक्ट है। घर में कलश स्थापना से लेकर मंत्र जाप तक, सब कुछ इसी समय में करें। याद रखें, पूजा के दौरान साफ-सुथरे कपड़े पहनें और मन में सिर्फ मां का नाम हो। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी होने की गारंटी!
कन्या पूजन: छोटी देवियों का सम्मान कैसे करें?अब आता है नवरात्रि का सबसे प्यारा रिवाज – कन्या पूजन! नवमी पर 2 से 10 साल की नौ कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजना होता है। इस बार कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त भी वैसा ही है – सुबह 5:01 से 6:13 बजे या फिर 7:36 से 9:02 बजे तक। पहले इन छोटी देवियों के पैर धोएं, फिर आसन पर बिठाकर पूजा करें। उन्हें हलवा, पूरी, चने का भोजन और दक्षिणा दें। उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति आती है और लड़कियों के सम्मान का संदेश भी मिलता है। अक्सर लोग पूछते हैं – क्या अष्टमी पर भी कर सकते हैं? हां, 30 सितंबर को भी कन्या पूजन होता है, लेकिन नवमी वाला ज्यादा स्पेशल माना जाता है।
व्रत पारण: कब तोड़ें अपना नौ दिन का उपवास?नवरात्रि के व्रत का असली मजा तो पारण में है! नवमी के बाद, यानी 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को कन्या पूजन के बाद ही व्रत तोड़ें। पारण का समय सुबह 6:13 बजे के बाद से शाम 6:06 बजे तक रखा गया है। फलाहार या सात्विक भोजन से शुरू करें, जैसे फल, दूध या खीर। ऐसा करने से न सिर्फ आपका व्रत पूरा होता है, बल्कि अगले साल के लिए ढेर सारी सकारात्मक एनर्जी मिलती है। ध्यान दें, पारण के समय मां को भोग लगाना न भूलें!
तो दोस्तों, नवमी का ये त्योहार न सिर्फ पूजा का, बल्कि परिवार के साथ जुड़ाव का भी मौका है। जल्दी से प्लान बनाएं, कन्याओं को बुला लें और मां की कृपा पाएं। हैप्पी नवमी!
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