झांसी: प्यार और हवस की आग इंसान को कहां ले जाती है, इसका जीता-जागता उदाहरण है रचना यादव की कहानी। झांसी की इस शादीशुदा महिला ने अपने जीवन में कई तूफानों का सामना किया, लेकिन आखिर में उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। पूर्व ग्राम प्रधान संजय पटेल, जिसके साथ रचना का प्रेम प्रसंग चल रहा था, अपने चरित्र पर काबू नहीं रख सका और आज वह सलाखों के पीछे है।
प्रेमी ने बनाया खौफनाक प्लानसंजय पटेल, जो पहले से शादीशुदा था, रचना के शादी के दबाव से परेशान हो गया। उसने अपने भतीजे संदीप पटेल और दोस्त प्रदीप के साथ मिलकर रचना की हत्या का खतरनाक प्लान बनाया। रचना के शरीर को सात टुकड़ों में काटकर, उसके हिस्सों को बोरे में भरकर नदी और कुएं में फेंक दिया गया। रचना की दो शादियां पहले हो चुकी थीं, लेकिन दोनों रिश्ते टिक नहीं पाए। इसके बाद वह संजय पटेल के साथ प्रेम संबंध में बंध गई थी।
रचना की जिंदगी: दो शादियां, फिर प्रेममध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के चंदेरा थाना क्षेत्र के मैलवारा गांव की रहने वाली रचना यादव की पहली शादी टीकमगढ़ में हुई थी। इस शादी से उनके दो बच्चे हैं। पांच साल बाद पति से विवाद के चलते वह अपने मायके चली गई। वहां उनकी मुलाकात झांसी के महेबा गांव के शिवराज यादव से हुई। रचना उनके साथ महेबा आकर रहने लगी। लेकिन यहां भी रिश्ते में खटास आ गई। साल 2023 में रचना ने शिवराज के बड़े भाई पर दुष्कर्म और हत्या की कोशिश का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई, जिसमें शिवराज का भी नाम शामिल था। इस केस की पैरवी के लिए वह गरौठा कोर्ट जाती थी, जहां उसकी मुलाकात तत्कालीन ग्राम प्रधान संजय पटेल से हुई। दोनों के बीच जल्द ही नजदीकियां बढ़ गईं।
दूसरा पति गया, संजय पर दबावइसी साल जून में रचना के दूसरे पति शिवराज की मौत हो गई। अब रचना पूरी तरह आजाद थी और उसने संजय पर शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया। संजय, जिसकी पहले से पत्नी और दो बेटे थे, शादी के लिए तैयार नहीं था। रचना की धमकियों से तंग आकर संजय ने उसे रास्ते से हटाने का फैसला किया। उसने अपने भतीजे और दोस्त के साथ मिलकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया।
हत्या और शव के टुकड़े9 अगस्त 2025 को संजय ने रचना को मिलने के बहाने बुलाया और उसका गला घोंट दिया। इसके बाद आरोपियों ने शव को सात टुकड़ों में काटा और पहचान मिटाने के लिए सिर और पैरों को लखेरी नदी में फेंक दिया। 13 अगस्त को शव का कुछ हिस्सा मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। संजय और उसके भतीजे संदीप को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि प्रदीप अभी फरार है। इस मामले को सुलझाने के लिए 10 पुलिस टीमें लगाई गई थीं।
कॉल डिटेल ने खोला राजरचना के भाई दीपक ने अपनी बहन को बहुत तलाशा, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। उसका फोन भी बंद था। दीपक टोड़ी फतेहपुर पहुंचा और पुलिस को रचना का नंबर दिया। पुलिस ने नंबर को सर्विलांस पर लगाया, जिससे संजय पटेल के साथ रचना की कई बार बातचीत का पता चला। संजय घर से गायब था, लेकिन पुलिस ने दबिश देकर उसे पकड़ लिया। सख्त पूछताछ में उसने हत्या की बात कबूल कर ली।
भाई का दर्द: संजय ने पहले झूठ बोलादीपक ने बताया कि जब उसने संजय को फोन किया, तो वह कहता रहा कि रचना बीमार है और वह उससे बात करवाएगा। लेकिन दीपक के जिद करने पर संजय ने गुस्से में कबूल किया कि उसने रचना की हत्या कर दी। पहले तो दीपक को उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन बाद में पुलिस की जांच ने सारी सच्चाई सामने ला दी।
पुलिस की मेहनत रंग लाईइस जघन्य हत्याकांड को सात दिन में सुलझाने वाली पुलिस टीम की तारीफ हो रही है। डीआईजी केशव चौधरी ने पुलिस टीम को 50 हजार रुपये का इनाम दिया है। वहीं, एसपी आरए डा. अरविंद कुमार ने भी 20 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया।
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