यह जानकारी एक अधिकारी ने शुक्रवार को दी। ‘डंकी रूट’ ऐसे रास्तों को कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल प्रवासी बिना उचित दस्तावेज के अमेरिका जैसे देशों में प्रवेश करने के लिए करते हैं। उनकी जोखिम भरी और कठिन यात्रा आमतौर पर मानव तस्करी सिंडिकेट द्वारा सुगम बनाई जाती है। अधिकारी ने बताया कि आरोपी की पहचान पंजाब के पटियाला के मटौली गांव निवासी नरेश कुमार के रूप में हुई है और उसे अमेरिका से एक भारतीय यात्री को वापस भेजे जाने के बाद गिरफ्तार किया गया।
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उन्होंने बताया कि कुमार ने अन्य एजेंट के साथ मिलकर फर्जी ‘शेंगेन वीजा’ का प्रबंध किया था और बाद में जालसाजी को छिपाने के लिए यात्री के पासपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की थी। यह मामला चार और पांच अप्रैल की दरमियानी रात को तब प्रकाश में आया जब गुरसाहिब सिंह (39) अमेरिका से आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा। उसे अमेरिका से वापस भेज दिया गया था। उसके यात्रा दस्तावेजों की जांच के दौरान आव्रजन अधिकारियों ने उसके पासपोर्ट के एक पन्ने पर गोंद के निशान देखे, जिससे छेड़छाड़ का संकेत मिला।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंजाब के तरनतारन जिले के निवासी सिंह पर बाद में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता और पासपोर्ट अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया। अधिकारी ने बताया कि सिंह को गिरफ्तार करके पूछताछ की गई, जिसके दौरान उसने इस बारे में विस्तृत जानकारी दी।
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पुलिस ने बताया कि सिंह ने खुलासा किया कि 2024 में सिंगापुर से भारत लौटने के बाद वह गुरदेव सिंह उर्फ 'गुर्री' नामक एक एजेंट के संपर्क में आया, जिसने 20 लाख रुपए के बदले उसे अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने में मदद करने का वादा किया। सिंह ने 17 लाख रुपए नकद दिए और शेष तीन लाख रुपए एक बैंक खाते में ट्रांसफर किए, जो बाद में नरेश कुमार का निकला।
पुलिस ने बताया कि साजिश के अनुसार, सिंह को ब्रिटेन, स्पेन, ग्वाटेमाला, मैक्सिको और अंत में तिजुआना सहित कई देशों से होकर भेजा गया, जहां से वह 'डंकी रूट' के जरिए अवैध रूप से अमेरिका में घुस गया। पुलिस के अनुसार अमेरिका में प्रवेश करने से पहले, एजेंट के एक सहयोगी ने जाली शेंगेन वीजा हासिल किया और उसे सिंह के पासपोर्ट पर चिपका दिया, जिसमें बाद में नकली वीजा को छिपाने के लिए छेड़छाड़ की गई।
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पुलिस के अनुसार, हालांकि सिंह को अमेरिकी अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया और तीन महीने हिरासत में रखने के बाद उसे भारत भेज दिया गया। पुलिस के अनुसार उसके आने पर जांच शुरू हुई और कुमार की गिरफ्तारी हुई। अधिकारी ने कहा, लगातार पूछताछ के दौरान नरेश कुमार ने जालसाजी में अपनी भूमिका कबूल की और खुलासा किया कि वह और उसका भाई कई सालों से ट्रैवल एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे।
उन्होंने कहा, उसने कमीशन के आधार पर गुरदेव सिंह के साथ मिलकर काम करने की बात स्वीकार की और यात्री से तीन लाख रुपए प्राप्त करने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि गुरदेव सिंह का पता लगाने के प्रयास जारी हैं, जो अब भी फरार है। उन्होंने कहा कि जांचकर्ता कुमार के बैंक खातों और इसी तरह के मामलों में उसके संभावित संबंधों की भी जांच कर रहे हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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